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नकोदर : कुछ समय पहले भी हमने आपको नकोदर पोस्ट ऑफिस की नालायिकी के बारे में बताया था। उस खबर के बाद काफी समय सब अच्छा रहा। लेकिन कुछ समय से पोस्ट ऑफिस के ग्राहकों को लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जब हमारी जानकारी में यह बात आई तो फीडफ्रंट के मुख्य संपादक स्वयं इस बात की जांच पड़ताल करने निकले। उन्होंने करीबन साढ़े ग्यारह बजे पोस्ट ऑफिस नकोदर में एंट्री की और अगले आधे घंटे तक सब कुछ ऑब्जर्ब किया। इस आधे घंटे में क्या देखा गया उसके बारे में विस्तार से बताते है:
पेंडेसी और लेट लतीफी: पोस्ट ऑफिस में परवेश करते ही कैश काउंटर है यहां पर अक्सर भीड़ रहती है। मुख्य संपादक ने देखा की आधे घंटे में कैश काउंटर से सिर्फ एक व्यक्ति ही काम करवा के निकला है जबकि पिछले आधे घंटे से खड़े 12 व्यक्ति अपने काम होने का इंतजार कर रहे थे। मुख्य संपादक ने सोचा की शायद कर्मचारी अपना काम नही कर रहा तो थोड़ा आगे जाकर देखने पर पता चला कि वो खिड़की पर खड़े ग्राहकों का काम करने की बजाय वो अपनी पेंडेंसी क्लियर कर रहा है। जब उसे इसका कारण पूछा तो जवाब मिला इसका एक निर्धारित समय होता है अपडेट करने का जो बारां वह से पहले पहले करने है। भले उसके लिए ग्राहकों को घंटो खिड़की पर खड़ना पड़े।
स्टाफ की कमी: जब इसके बारे में पोस्ट मास्टर से बात की गाय तो उन्होंने बताया कि उनके पास स्टाफ की कमी है उनको दुगना तिगना काम करना पड़ता है। विभाग नई भर्ती कर नही रहा। जब पेंडिंग पीडीए काम को ग्राहकों की उपस्थिति में करने की बात की तो उन्होंने ने कोई तिपनी नही की बल्कि यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि काम तो कर ही रहा है न, खाली थोड़ी बैठा है।
उच्च अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए: जब हम सब जानते हैं कि है क्षेत्र में निजी कंपनियां अपनी धाक जमा रही है। जिसके कारण सरकारी आधारों की हालत इतनी खस्ता होती जा रही है कि आम जनता वहां जाने से कतराती है। पोस्ट ऑफिस ऐसे ही एक आधारा है जिसको निजी कोरियर कंपनियां हर रोज हजारों लाखों का घाटा दे रहीं है। ऐसी हालत में भी विभाग अपनी सेवाओं को बेहतर बनाने को और ध्यान नही दे रहा। उच्च अधिकारियों को देश के हर पोस्ट ऑफिस की ओर ध्यान देना चाहिए। कैसी सेवा प्रदान की जा रही है या स्टाफ ग्राहकों से कैसे पेश आ रहा है। पोस्ट ऑफिस के क्षेत्र के हिसाब से क्या वहां पर प्रयापत कर्मचारी हैं अगर भी तो भर्ती कर स्टाफ की कमी को पूरा करना चाहिए।
अगर इन बातों की और ध्यान नही दिया तो वो दिन दूर नही जब इंडिया पोस्ट का नाम केवल किसी कक्षा के इतिहास वाले पन्ने पर ही लिखा मिलेगा। नवीनतम पीढ़ी देख ही नहीं पाएगी पोस्ट ऑफिस होते कैसे थे। जैसे सड़कों से लेटरबॉक्स गायब हो गए शहरों से पोस्ट ऑफिस कब गायब हो जाएंगे किसी को पता नही चलेगा।