किसान नेता व 2020 किसान आंदोलन के प्रमुख चेहरे रहे गुरनाम सिंह चढूनी ने हरियाणा विधानसभा व पंजाब उप चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। गुरनाम चढूनी ने बीती शाम इसकी घोषणा की है। ये चुनाव संयुक्त संघर्ष पार्टी (SSP) के बैनर तले लड़े जाएंगे। 2022 में हार के बाद किसान एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरेंगे। मिली जानकारी के अनुसार किसान नेता गुरनाम सिंह चूरनी ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी (संयुक्त संघर्ष पार्टी) पंजाब में चार विधानसभा सीटें, जो लोकसभा चुनावों के बाद खाली हुई हैं, से चुनाव लड़ेंगे। वे गिद्दड़बाहा, बरनाला, डेरा बाबा नानक और चब्बेवाल में अपने किसान नेता उतारेंगे। इतना ही नहीं, इसी साल होने जा रहे हरियाणा के भी वे चुनाव लड़ेंगे। चढूनी पेहवा से चुनावी मैदान में उतरेंगे चूढनी ने इस दौरान खुद भी चुनाव लड़ने की बात कही है। उनका कहना है कि वे खुद पेहवा से चुनाव लड़ेंगे। अन्य किसी भी सीट से कौन चुनावी मैदान में उतरेगा, इसका अभी ऐलान नहीं किया गया है। इसका निर्णय SSP के सीनियर नेता मिलकर करेंगे। 2022 में हुई थी जमानतें जब्त ये पहला मौका नहीं है, जब किसान नेता मैदान में उतरे हों। 2020 किसान आंदोलन-1 के खत्म होने के बाद 2022 पंजाब विधानसभा चुनावों के दौरान भी किसान नेता मैदान में उतरे थे। चुनाव लड़ने के फैसले पर किसान नेताओं में फूट भी पड़ी थी। जिसका खामियाजा चुनाव लड़ने वाले किसान नेताओं का उठाना पड़ा था। किसान नेताओं की जमानतें जब्त हो हो गई थी। राजेवाल को पड़े थे मात्र 3.5% वोट पंजाब में किसानों की तरफ से मुख्यमंत्री पद के घोषित उम्मीदवार बलबीर सिंह राजेवाल, जिन्होंने दिल्ली की सीमाओं पर एक साल तक आंदोलन का नेतृत्व किया, अपमानजनक तरीके से हार का सामना पड़ा था। वे छठे स्थान पर रहे और उनकी जमानत भी नहीं बचा पाई थी। उन्हें लुधियाना जिले के समराला विधानसभा क्षेत्र में केवल 3.5% वोट मिले थे। निर्दलीय के तौर पर लड़ा था उम्मीदवारों ने चुनाव संयुक्त संघर्ष मोर्चा समय पर पार्टी के रूप में पंजीकृत नहीं हो सका था, इसलिए उसे अपने सभी 92 उम्मीदवारों को निर्दलीय के रूप में मैदान में उतारना पड़ा। जिसमें किसान यूनियनिस्ट गुरनाम सिंह चढूनी की संयुक्त संघर्ष पार्टी (SSP) के 10 उम्मीदवार शामिल थे। कानूनों के निरस्त होने के बाद, पंजाब के 20 किसान यूनियनों ने 25 दिसंबर, 2021 को एक पार्टी बनाने के लिए मिलकर काम किया। कुछ मोर्चे से अलग हो गए और राजनीति में इसके दखल से दूरी बना ली। किसान मजदूर संघर्ष समिति और क्रांतिकारी किसान यूनियन के अलावा BKU के विभिन्न स्वरूपों एकता उग्राहन, एकता दकौंडा, एकता सिद्धूपुर, लाखोवाल, कादियां और क्रांतिकारी ने भी मोर्चा में शामिल होने से इनकार कर दिया था। परिणामों से पहले बिखर गया था मोर्चा परिणाम से पहले ही मोर्चा बिखरने लगा था। वोटों की गिनती से कुछ घंटे पहले फरीदकोट और मुक्तसर में राजेवाल के विधायकों ने यह आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया कि चुनावी राजनीति में उतरने से किसानों का मुद्दा कमजोर हुआ है। दो और जिला इकाइयों ने चुनाव प्रचार से खुद को अलग कर लिया। विद्रोह के कारण पंजाब किसान यूनियन के गुरनाम सिंह भीखी को मानसा से चुनाव लड़ने से हटना पड़ा। दो और उम्मीदवारों ने नाम वापस ले लिए। एक ने रामपुरा फूल में AAP का समर्थन किया, जबकि दूसरा अमरगढ़ में सिमरनजीत सिंह मान के शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के समर्थन में उतर गया।
https://www.bhaskar.com/local/punjab/amritsar/news/farmer-leaders-contest-elections-haryana-vidhan-sabha-punjab-by-election-gurnam-singh-charuni-pehowa-seat-133376187.html
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किसान नेता फिर उतरेंगे चुनावी अखाड़े में: गुरनाम चढूनी हरियाणा की सभी व पंजाब की 4 सीटों पर उतारेंगे उम्मीदवार – Amritsar Newsक
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