संवाद न्यूज एजेंसी
अबोहर। अबोहर शहर की शान समझे जाने वाले घंटाघर की घड़ियां पिछले लंबे अरसे से बंद हैं और नगर निगम व प्रशासन का मुंह चिढ़ा रही हैं। कहते हैं कि एक घर में बंद पड़ी घड़ी उस घर के सदस्यों के भाग्य पर नकारात्मक असर डालती है और जब नगर की घड़ी ही बंद पड़ी हो तो उसका असर नगर के भाग्य, विकास पर होता ही होगा।
जानकारी अनुसार इस घंटाघर का निर्माण भारत में अंग्रेजों की महारानी विक्टोरिया ने अपने 60 वर्ष के राज्य का कार्यकाल पूरा होने के अवसर पर 1897 में करवाया था। तब इसको केसर गंज के नाम से जाना जाता था। घंटाघर पर लगे पत्थर पर आज भी केसर गंज के शब्द अंकित हैं। इसके ऊपर घड़ी 1939 में लगवाई गई थी, जो मेड इन इंग्लैंड थी। करीब दो दशक पहले नगर परिषद में अकाली-भाजपा का बोर्ड बनने पर तत्कालीन प्रधान शिवराज गोयल ने घंटाघर पर इलेक्ट्रिक घड़ी लगवाई थी जोकि कुछ समय तक ठीक चली और ऐसी खराब हुई कि आज तक खराब पड़ी है।
समाजसेवी ने सीएम को भेजा पत्र
समाज सुधार सभा के प्रधान राजेश गुप्ता ने मुख्यमंत्री भगवंत मान और नगर निगम की कमिश्नर डॉ सेनु दुग्गल को ईमेल भेज कर शहर का दिल कहा जाने वाले घंटाघर की सुध लेने की मांग की है। गुप्ता ने अपने पत्र में कहा है कि नगर का दिल कहलाने वाले इस चौराहे से रेलवे स्टेशन को जाने वाला बाहर और नगर का हर यात्री गुजर कर जाता है और उस हर व्यक्ति की नजर घंटाघर पर पड़ती है, लेकिन जब वह वहां लगी घड़ी को देखता है तो उसे निराशा होती है। नगर कौंसिल व प्रशासन की अनदेखी के चलते घंटा घर लोगों को मुंह चिढ़ा रहा है।
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अबोहर का घंटाघर