डेरामुखी राम रहीम पर ट्रॉयल चलाने की मंजूरी।
डेरामुखी गुरमीत सिंह राम रहीम की मुश्किलें बढ़ गई हैं। पंजाब सरकार ने बेअदबी से जुड़े तीन मामलों में उन पर केस चलाने को मंजूरी दे दी है। वहीं, अब फरीदकोट की अदालत में उन पर ट्रायल चलेगा। भविष्य में जरूरत पड़ी तो उससे पूछताछ भी की जा सकती है। सरकार ने यह
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पंजाब विधानसभा में भी उठा था यह मामला
बेअदबी का मामला पंजाब विधानसभा में भी उठा था। कांग्रेस के विधायकों ने यह मामला उठाया था। उनका कहना था कि डेरामुखी की फाइल करीब सवा दो साल से सीएम आफिस में पड़ी हुई है। सीएम के पास ही गृह विभाग है। लेकिन सरकार की तरफ से इसे मंजूरी नहीं दी जा रही है। वहीं, आम आदमी पार्टी के विधायक कुंवर विजय प्रताप सिंह ने भी यह मामला विधानसभा में उठाया था। हालांकि सीएम भगवंत ने साफ कहा था कि उनके पास इस मामले में नए तथ्य सामने आए हैं। साथ ही इस मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी।
9 साल पुराना है मामला
यह सारा मामला जून 2015 में फरीदकोट के बुर्ज जवाहर सिंह वाला गांव में एक गुरुद्वारे से गुरु ग्रंथ साहिब की एक प्रति की चोरी से शुरू हुई थी। इसके बाद, सितंबर में, फरीदकोट के जवाहर सिंह वाला और बरगाड़ी गांवों में पवित्र ग्रंथ के खिलाफ़ हाथ से लिए हुए अपवित्र पोस्टर लगाए गए। उसी वर्ष अक्टूबर में, बरगाड़ी में एक गुरुद्वारे के पास पवित्र ग्रंथ के कई फटे हुए अंग (पृष्ठ) बिखरे हुए मिले।
बाद में स्थिति ये बन आई कि पंजाब में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। राज्य पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की, जिसमें दो आंदोलनकारियों की मौत हो गई। इस दौरान पंजाब में सामाजिक और राजनीतिक अशांति और बढ़ गई।
गुरु ग्रंथ साहिब की प्रति की चोरी और अपवित्रता से संबंधित तीन परस्पर जुड़े मामलों में कुल 12 लोगों को नामजद किया गया था। शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी की पिछली गठबंधन सरकार ने नवंबर में जांच सीबीआई को सौंप दी थी।
डेरा प्रमुख ने की थी सीबीआई जांच जारी रखने की मांग
हाईकोर्ट में डेरा प्रमुख ने पंजाब सरकार की 6 सितंबर, 2018 की अधिसूचना को चुनौती दी थी। जिसमें सरकार ने जांच को सीबीआई को सौंपने की अपनी सहमति वापस ले ली थी। अपनी याचिका में डेरा प्रमुख ने मांग की थी कि सीबीआई को बेअदबी के मामलों की जांच जारी रखने का निर्देश दिया जाए।
इस साल मार्च में हाईकोर्ट ने इस याचिका को बड़ी बेंच को भेज दिया था ताकि यह पता लगाया जा सके कि सीबीआई जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा दी गई सहमति को बाद में वापस लिया जा सकता है या नहीं। इसके बाद कोर्ट ने आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। जिस पर पंजाब सरकार ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।