सिर्फ 6, 7, 8 और 9 से ही क्यों शुरू होते हैं मोबाइल नंबर? एक या दो से क्यों नहीं होती है शुरुआत

दुनिया में ऐसी कई चीजें हैं, जो हमारे आंखों के सामने ही रहती है लेकिन हम उन्हें कभी नोटिस नहीं करते. इन छोटी-छोटी बातों पर हमारा ध्यान नहीं जाता. लेकिन जब दिमाग लगाओ, तो कौंधता है कि आखिर ऐसा क्यों है? ऐसे ही कुछ फैक्ट्स आपको हम बता रहे हैं. बात अगर मोबाइल नंबर्स की करें, तो बीते दो दशक से इंसान टेलीफोन या मोबाइल के सहारे एक कोने से दूसरे में बात कर रहा है. इस सुविधा ने लोगों को जोड़ने की दिशा में क्रांति ला दी है. बेहद आसानी से इंसान अब कहीं भी किसी से भी संपर्क कर सकता है. मोबाइल पर बात बात करने के लिए मोबाइल नंबर की जरुरत होती है.

बात अगर मोबाइल नंबर की कर रहे हैं, तो क्या आपने कभी इससे जुड़ी एक जरुरी चीज नोटिस की है. भारत में आपके फोन में जितने भी मोबाइल नंबर सेव होंगे, वो सारे छह, सात, आठ या नौ से शुरू होते हैं. क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की आखिर इन नंबर्स की शुरुआत एक, दो, तीन, चार या पांच से क्यों नहीं होती? नहीं ना. आज हम आपको इसी छोटे से लेकिन मजेदार तथ्य की जानकारी देने जा रहे हैं.

क्या है पीछे की वजह?
भारत में मोबाइल को चलाने के लिए सिम कार्ड का इस्तेमाल होता है. इसी सिम कार्ड में मोबाइल नंबर मौजूद होता ही. भारतीय मोबाइल नंबर्स दस अंक के होते हैं जो आमतौर पर छह, सात , आठ या नौ से शुरू होते हैं. इन्हें एक से पांच के बीच में शुरू नहीं किया जाता. इसकी एक ख़ास वजह है. दरअसल, भारत में एक से शुरू होने वाले नंबर सरकारी सेवाओं के लिए है. पुलिस, फायरब्रिगेड, एम्बुलेंस जैसी सुविधा के लिए जारी नंबर एक से शुरू होते हैं. वहीं सो से पांच के बीच के नंबर्स लैंडलाइन के लिए बुक है. इसी वजह से मोबाइल नंबर इनसे शुरू नहीं होते.

शून्य का है ऐसा महत्व
अब आपने एक से पांच के बीच के मोबाइल नंबर्स ना होने की वजह तो जान ली, अब हम आपको बताते हैं कि इनमें जीरो का इस्तेमाल कब किया जाता है? जीरो का इस्तेमाल लैंडलाइन के लिए एसटीडी कोड की तरह किया जाता है. इस वजह से इनका प्रयोग मोबाइल में नहीं किया जाता. वैसे कहीं ये ऑफिशियल नहीं लिखा गया है कि जीरो से पांच के बीच के नंबर्स का प्रयोग मोबाइल में नहीं किया जाएगा, लेकिन अभी तक इसे माना जाता रहा है.

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HARSH GOGI
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